आज फिर एक नयी सुबह एक नये दिन की शुरुआत थी। खुशनुमा सुबह थी, शरीर में थकान का नामोनिशान नहीं था, प्रफुल्लित थी, तरोताजा थी। हर नये दिन के बारे में मेरी सोच बिल्कुल स्पष्ट है, हो सकता है हर दिन अच्छा न हो, लेकिन हर दिन में कुछ न कुछ तो अच्छा अवश्य होता … Continue reading कामिनी की कामुक गाथा (भाग 81)
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